इजराइली हमले में तेहरान स्थित बांग्लादेश के राजदूत का घर ध्वस्त हो गया है. यह खुलासा बांग्लादेश के राजदूत वाहिद इस्लाम ने खुद किया है. बीबीसी बांग्ला से बात करते हुए वाहिद ने कहा है कि उसके आसपास के सभी घरों को इजराइल ने खंडहर बना दिया है. इजराइल ने बांग्लादेश के राजदूत का घर उस वक्त गिराया है, जब इजराइल-ईरान संघर्ष में देश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस साइलेंट हैं.
मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद बांग्लादेश ने अब तक ईरान का खुलकर समर्थन नहीं किया है. इतना ही नहीं, बांग्लादेश उन 21 मुस्लिम देशों की लिस्ट में भी शामिल नहीं है, जिसने इजराइल के खिलाफ निंदा का प्रस्ताव पास किया है.
बांग्लादेश ने खुद को अलग-थलग किया
एक तरफ जहां बड़े-बड़े मुस्लिम देशों ने अपना स्टैंड साफ कर लिया है. वहीं बांग्लादेश ने चुप्पी साधने का फॉर्मूला अपनाया है. बांग्लादेश के यूनुस ने अब तक ईरान और इजराइल युद्ध पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
बांग्लादेश ने अपने नागरिकों को वापस ईरान से लाने की कवायद जरूर की है. बांग्लादेश ने ईरान और इजराइल में रह रहे अपने नागरिकों से कहा है कि आप तुरंत किसी न किसी तरह से मुल्क छोड़ दें.
राजदूत का घर ध्वस्त, दूतावास पर भी खतरा
बीबीबी बांग्ला से बात करते हुए तेहरान में बांग्लादेश के प्रथम अधिकारी वाहिद ने कहा कि हमारा आवास तेहरान के पार्ट-3 में था, जहां मिसाइल अटैक हुआ है. वाहिद के मुताबिक आवास ध्वस्त हो गया है और हम कुछ और ऑप्शन देख रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के राजनयिक मुख्य रूप से तेहरान जिले-3 के जॉर्डन नामक क्षेत्र में रहते हैं. यहीं पर ईरान के सरकारी मीडिया का दफ्तर है, जहां पर सोमवार (16 जून) को इजराइल ने अटैक किया था.
बांग्लादेश के स्थानीय मीडिया के मुताबिक तेहरान स्थित दूतावास पर भी खतरा मंडरा रहा है. ढाका का दूतावास तेहरान के मिलिट्री एरिया में है, जो इजराइल के रडार पर है. वहां कभी भी हमला हो सकता है.
वापसी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है
बांग्लादेश के 400 लोग अधिकृत रूप से ईरान में रह रहे हैं. वहीं दूतावास के अधिकारियों और उनके परिजनों को अगर इसमें जोड़ दिया जाए तो यह करीब 800 है. इन लोगों को वापस लाना यूनुस सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है.
ईरान में फंसे लोगों को बाहर लाने के लिए अब तक सिर्फ तुर्केमिस्तान ने अपना बॉर्डर खोला है. पाकिस्तान अगर बॉर्डर खोलता है तो बांग्लादेश की मुसीबत कम हो सकती है.